जपु जी साहिब – गुरप्रसादी कथा

यह पुस्तक उनको समर्पित है जो माया में लिप्त हो चुके हैं। यह पुस्तक उनको समर्पित है जो माया के गुलाम बन चुके हैं।

गुरमुख बनना

मनमुख (आत्मकेन्द्रित स्वार्थी इंसान ) से गुरमुख (परुपकारी प्रबुद्ध इंसान ) बनने के बारे में लेख.

दासन दास जी के बारे में

दासन दास जी ने हमें उनकी जाती ज़िन्दगी के बारे में लिखने से मना किया है क्योंकि वे जाती ज़िन्दगी में एक निजी और विनम्र व्यक्ति हैं । हम उनके छमा के जाचक है किन्तु उनकी जीवन-वृत्तांत एक साधारण व्यक्ति के लिए बहुत प्रेरणादायक होगी, उनकी एक साधारण जीवन से एक रूहानी जीवन के सफ़र को हम सारी दुनिया के साथ बाटना चाहते है । उनकी यात्रा, उनके शब्द हमें और दूसरों को हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। उनकी वाणी में भगवान् का सच है , उनके संत सच है और उनके शागिर्द जो उनकी कही हुई वाणी पर चलते हैं वह भी सच बन जाते है। इस अध्याय में ८ लेख है जो उनकी यात्रा दर्शाते है । दासन दास जी ने कहा की जब यह अध्याय बनाये तो सिर्फ नाम, पूरण बंदगी और सेवा पर ही हो नाकि उनकी अपनी उपलब्धियों पर हो ।

नाम सिमरन

यह लेख अगम्य, अगोचर, अनंत, असीम, अनवधि धन्य-धन्य पार ब्रह्म परमेश्वर और गुरू की गुरप्रसादी गुर कृपा के साथ लिखा गया है। आईए उनके आगे नाम-सिमरन के ब्रह्मज्ञान को समझने के लिए ब्रह्म सूझ के लिए प्रार्थना करें।