हम में से कुछ को आम तौर पर गुर और गुरू को सुबह से पहले समय का दसवन्ध देना कठिन लगता है। केवल इनकी अपार असीम गुर कृपा
- अगम्य अगोचर अप्रम्पार अनंत असीम पार ब्रह्म परमेश्वर एवं
- गुरू
की कृपा से हम इसमें से सफलता के साथ गुज़र सकते हैं।
हम अपने आप से इस पर ज़्यादा बल अपनी रोज़ के जीवन में माया के दीर्घ प्रभाव के कारण नहीं लगा सकते। हम यह गुरप्रसादि धीरे-धीरे और एक निरंतर चाल से लगातार नीचे दिए यत्न करते रहकर पा सकते हैं।
- अत्यंत प्यार
- विनम्रता
- भरोसा
- यकीन
- विश्वास
- दृढ़ और
- गुर और गुरू के आगे पूर्ण समर्पण
याद रखें की नीचे लिखे गुण सुबह अमृत समय या दिन में या रात के किसी भी समय नाम सिमरन करने के लिए ज़रूरी चाहिए हैं।
- अंतर रुचि
- इच्छा
- उत्साह
- आनंद का एहसास
- खुशी
- बलिदान की भावना
- अनादि प्यार की भावना
परंतु यह गुण गुरप्रसादि के साथ आते हैं। यह केवल गुरप्रसादि के साथ घटित होता है। इसलिए हमें निरंतर आधार पर गुर कृपा के साथ जुड़े रहने के लिए किस चीज़ की आवश्यकता है?
- विनती के साथ
- अति विनम्रता के साथ
- सच्चे प्यार के साथ
- भरोसे और
- गुर और गुरू में यकीन
यहाँ प्रार्थना करने के लिए कोई खास समय नहीं है। यह किसी समय भी कहीं भी की जा सकती है। असल में जब भी आपका अंदर आपको यह प्रार्थना करने के लिए कहता है। कुछ समय लें और अपने अंदर ही यह प्रार्थना करें। बार-बार यह विनती करना बहुत बढ़िया परिणाम लाता है। हृदय में से की गई प्रार्थना उसी समय सुनी जा सकती है। याद रखें कि आपके हाथ में या काबू में कुछ कोई भी चीज़ नहीं है। यह सभ हुक्म है जो इन चीज़ों का होना बनाता है। इसलिए प्रार्थना ही इसका रास्ता है।
जब रात को सोते हो तो जल्दी सोने का प्रयास करें। सुबह के समय इस प्रकार प्रार्थना करके गुर कृपा की माँग करें।
अपने हृदय में हाथ जोड़ के और प्यार से भरी भावना के साथ प्रार्थना करें:
- कोटि कोटि नमस्कार के साथ
- कोटि कोटि डंडौत बंदना के साथ
- कोटि कोटि शुक्राना
के साथ सभी के आगे प्रार्थना करें
- पारब्रह्म परमेश्वर जी और सतगुरू जी
- दस गुरू साहिबान
- गुरू ग्रंथ साहिब जी के आगे
- सभी संतों भक्तों और सारे युगों के ब्रह्मज्ञानीओं के आगे
- सारी संगत और
- कोटि ब्रह्मंड के चरणों के आगे प्रार्थना करें
कुछ समय अपने मन में समय लें और कहें :
- कृपा करके अपने इस कूकर को *** बजे (जो भी समय आपके अन्दर आपको उठाने के लिये कहता है) जगाने की कृपालता करो जी।
- कृप्या इस कूकर से कुछ सेवा लेने की दयालता करें जी।
- केवल आप ही इस कूकर से यह सेवा ले सकते हो।
- केवल आप की कृपा इस कूकर से यह सेवा ले सकती है।
- हम आपकी गुर कृपा की भीख माँगते हैं।
- कृपा करके इस महा पापी को अपनी शरण में लें जी।
- कृपा करके इस कूड़ कपटी महा पाखंडी महा मूर्ख के सारे पाप क्षमा कर दो।
- यह कूकर आप स्वीकार करता है।
- हम केवल कलयुगी जीव हैं और हर श्वास के साथ हम पाप करते हैं।
- हर श्वास जो आपने हमें बख्शा है आपके सिमरन और सेवा के लिए और हम इन श्वासों को अनगिनत समय से व्यर्थ गवा रहे हैं।
- हम अनगिनत पाप करते हैं पर आप दयालू और बख्शने वाले हो।
- आपकी दयालता और क्षमा आपकी तरह असीम है।
- आप मेरे ऊपर बहुत दयाल हो कि मुझे इस अनादि सत्य के रास्ते पर डाला है।
- आप असीम हो, आप अगम्य हो, आप अगोचर हो, आप अप्रम्पार हो।
- इसी तरह ही आप की कृपा और बख्शीश है।
- कुछ भी आपके लिए असंभव नहीं है, आप आँख के पलकारे में चीज़ों का होना कर देते हो, हर चीज़ आपके हुक्म के अधीन है, कृपा करके मेरे हृदय में गरीबी भेष बख्श दें जी।
- मुझे कोटि ब्रह्मांड का निम्र सेवक बना दें, मुझे कोटि ब्रह्मांड की धूल बना दें जी।
- मुझे अति नीचों का नीच बना दें जी, दासों का दास, मुझे विनम्र बना दें जी।
- कृपा करके मुझे माया के प्रभाव से मुक्त करो जी।
- कृपा करके मुझे संतुष्टी बख्शो जी और मेरी सभी इच्छाओं को समाप्त कर दो जी।
- कृपा करके मुझे निर्भय बना दो जी – निरवैर बना दो जी।
- कृपा करके मुझे एक दृष्ट बना दो जी।
- कृपा करके मुझे अपनी सारी सृष्टि का दास बना दो जी।
- कृपा करके मुझे अनादि सत्य बोलने, सुनने, पेश करने और अनादि सत्य की सेवा करने के योग्य बना दो जी।
- कृपा करके मेरा शीश सदैव गुर और गुरू के चरणों में रखो जी।
- कृपा करके मुझे सदा कोटि ब्रह्मांड के चरणों में रखो जी।
- कृपा करके मुझे नाम, बंदगी और सेवा बख्शो जी।
जब तक आप अपने नाम-सिमरन की ओर नहीं मुड़ जाते, सदा यह प्रार्थना नाम-सिमरन शुरू करने से पहले करें। चाहे यह शाम हो, सोने का समय हो या अमृत वेला हो। ये विनतीयाँ करने से आपको बहुत भारी फल प्राप्त होंगें।
रात को सोने से पहले यह प्रार्थना करो और तब नाम-सिमरन की ओर मुड़ जाओ और आप बढ़िया नींद सोएंगे और आप ठीक समय उठ जाओगे। यह मन में रखें कि सुबह के पहले समय पहली आँख खुलने के साथ ही जाग जाओ।
अमृत के समय की सेवा सभ से बढ़िया सेवा है। इसके फल हैं :
- सुबह 1:00 से 2:00 तक सिमरन आपको 40 किलो हीरे दान करने के तुल्य फल देता है।
- अगला घंटा (2:00 से 3:00 तक) यह आपको 40 किलो सोना दान करने के तुल्य फल देता है।
- अगले घंटे (4:00 से 5:00 तक) में यह चाँदी के तुल्य है।
- फिर तांबा और इसी तरह ही आगे।
समाधी में एक घंटा नाम-सिमरन एक पूरे अखंड पाठ से ज़्यादा फलकारी है।
पहले दो घंटे नाम-सिमरन धरती पर गिना जाता है और तीसरा, चौथा, पाँचवां घंटा दरगाह में गिना जाता है। समाधी और शुन्य समाधी में बैठ कई-कई घंटे लंबे समय से नाम-सिमरन करने का फल गिना और निर्धारण नहीं किया जा सकता है। यह व्याख्या से परे हैं और यह असल बंदगी (भक्ति) है जो आपको सच खंड में ले जाती है।
दासन दास